Dasarathi Satakam Stotram Lyrics in Hindi/Sanskrit
श्री रघुराम चारुतुल-सीतादलधाम शमक्षमादि शृं
गार गुणाभिराम त्रिज-गन्नुत शौर्य रमाललाम दु
र्वार कबन्धराक्षस वि-राम जगज्जन कल्मषार्नवो
त्तारकनाम! भद्रगिरि-दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 1 ॥
रामविशाल विक्रम पराजित भार्गवराम सद्गुण
स्तोम पराङ्गनाविमुख सुव्रत काम विनील नीरद
श्याम ककुत्ध्सवंश कलशाम्भुधिसोम सुरारिदोर्भलो
द्धाम विराम भद्रगिरि – दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 2 ॥
अगणित सत्यभाष, शरणागतपोष, दयालसज्घरी
विगत समस्तदोष, पृथिवीसुरतोष, त्रिलोक पूतकृ
द्गग नधुनीमरन्द पदकञ्ज विशेष मणिप्रभा धग
द्धगित विभूष भद्रगिरि दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 3 ॥
रङ्गदरातिभङ्ग, खग राजतुरङ्ग, विपत्परम्परो
त्तुङ्ग तमःपतङ्ग, परि तोषितरङ्ग, दयान्तरङ्ग स
त्सङ्ग धरात्मजा हृदय सारसभृङ्ग निशाचराब्जमा
तङ्ग, शुभाङ्ग, भद्रगिरि दाशरथी करुणापयोनिथी. ॥ 4 ॥
श्रीद सनन्दनादि मुनिसेवित पाद दिगन्तकीर्तिसं
पाद समस्तभूत परिपाल विनोद विषाद वल्लि का
च्छेद धराधिनाथकुल सिन्धुसुधामयपाद नृत्तगी
तादि विनोद भद्रगिरि दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 5 ॥
आर्युल कॆल्ल म्रॊक्किविन ताङ्गुडनै रघुनाध भट्टरा
रार्युल कञ्जलॆत्ति कवि सत्तमुलन् विनुतिञ्चि कार्य सौ
कर्य मॆलर्पनॊक्क शतकम्बॊन गूर्चि रचिन्तुनेडुता
त्पर्यमुनन् ग्रहिम्पुमिदि दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 6 ॥
मसकॊनि रेङ्गुबण्ड्लुकुनु मौक्तिकमुल् वॆलवोसिनट्लुदु
र्व्यसनमुजॆन्दि काव्यमु दुरात्मुलकिच्चितिमोस मय्यॆ ना
रसनकुं बूतवृत्तिसुक रम्बुग जेकुरुनट्लु वाक्सुधा
रसमुलुचिल्क बद्युमुख रङ्गमुनन्दुनटिम्प वय्यसं
तसमु जॆन्दि भद्रगिरि दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 7 ॥
श्रीरमणीयहार यतसी कुसुमाभशरीर, भक्त मं
दार, विकारदूर, परतत्त्वविहार त्रिलोक चेतनो
दार, दुरन्त पातक वितान विदूर, खरादि दैत्यकां
तार कुठार भद्रगिरि दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 8 ॥
दुरितलतालवित्र, खर दूषणकाननवीतिहॊत्र, भू
भरणकलाविचित्र, भव बन्धविमोचनसूत्र, चारुवि
स्फुरदरविन्दनेत्र, घन पुण्यचरित्र, विनीलभूरिकं
धरसमगात्र, भद्रगिरि दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 9 ॥
कनकविशालचेल भवकानन शातकुठारधार स
ज्जनपरिपालशील दिविजस्तुत सद्गुण काण्डकाण्ड सं
जनित पराक्रमक्रम विशारद शारद कन्दकुन्द चं
दन घनसार सारयश दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 10 ॥
श्री रघुवंश तोयधिकि शीतमयूखुडवैन नी पवि
त्रोरुपदाब्जमुल् विकसितोत्पल चम्पक वृत्तमाधुरी
पूरितवाक्प्रसूनमुल बूजलॊनर्चॆद जित्तगिम्पुमी
तारकनाम भद्रगिरि दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 11 ॥
गुरुतरमैन काव्यरस गुम्भनकब्बुर मन्दिमुष्करुल्
सरसुलमाड्कि सन्तसिल जूलुदुरोटुशशाङ्क चन्द्रिकां
कुरमुल किन्दु कान्तमणि कोटिस्रविञ्चिन भङ्गिविन्ध्यभू
धरमुन जाऱुने शिललु दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 12 ॥
तरणिकुलेश नानुडुल दप्पुलु गल्गिन नीदुनाम स
द्विरचितमैन काव्यमु पवित्रमुगादॆ वियन्नदीजलं
बरगुचुवङ्कयैन मलिनाकृति बाऱिन दन्महत्वमुं
दरमॆ गणिम्प नॆव्वरिकि दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 13 ॥
दारुणपात काब्धिकि सदा बडबाग्नि भवाकुलार्तिवि
स्तारदवानलार्चिकि सुधारसवृष्टि दुरन्त दुर्मता
चारभयङ्क राटविकि जण्डकठोरकुठारधार नी
तारकनाम मॆन्नुकॊन दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 14 ॥
हरुनकु नव्विभीषणुनक द्रिजकुं दिरुमन्त्र राजमै
करिकि सहल्यकुं द्रुपदकन्यकु नार्तिहरिञ्चुचुट्टमै
परगिनयट्टि नीपतित पावननाममु जिह्वपै निरं
तरमु नटिम्पजेयुमिक दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 15 ॥
मुप्पुन गालकिङ्करुलु मुङ्गिटवच्चिन वेल, रोगमुल्
गॊप्परमैनचो गफमु कुत्तुक निण्डिनवेल, बान्धवुल्
गप्पिनवेल, मीस्मरण गल्गुनॊ गल्गदॊ नाटि किप्पुडे
तप्पकचेतु मीभजन दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 16 ॥
परमदयानिधे पतितपावननाम हरे यटञ्चु सु
स्धिरमतुलै सदाभजन सेयु महात्मुल पादधूलि ना
शिरमुनदाल्तुमीरटकु जेरकुडञ्चु यमुण्डु किङ्करो
त्करमुल कान बॆट्टुनट दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 17 ॥
अजुनकु तण्ड्रिवय्यु सनकादुलकुं बरतत्त्वमय्युस
द्द्विजमुनिकोटिकॆल्लबर देतवय्यु दिनेशवंश भू
भुजुलकु मेटिवय्युबरि पूर्णुडवै वॆलिगॊन्दुपक्षिरा
ड्ध्वजमिमु ब्रस्तुतिञ्चॆदनु दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 18 ॥
पण्डित रक्षकुं डखिल पापविमॊचनु डब्जसम्भवा
खण्डल पूजितुण्डु दशकण्ठ विलुण्ठन चण्डकाण्डको
दण्डकला प्रवीणुडवु तावक कीर्ति वधूटि कित्तुपू
दण्डलु गाग ना कवित दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 19 ॥
श्रीरम सीतगाग निजसेवक बृन्दमु वीरवैष्णवा
चार जवम्बुगाग विरजानदि गौतमिगा विकुण्ठ मु
न्नारयभद्र शैलशिखराग्रमुगाग वसिञ्चु चेतनो
द्धारकुडैन विष्णुडवु दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 20 ॥
कण्टि नदीतटम्बुबॊडगण्टिनि भद्रनगाधिवासमुन्
गण्टि निलातनूजनुरु कार्मुक मार्गणशङ्खचक्रमुल्
गण्टिनि मिम्मु लक्ष्मणुनि गण्टि कृतार्धुड नैति नो जग
त्कण्टक दैत्यनिर्धलन दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 21 ॥
हलिकुनकुन् हलाग्रमुन नर्धमु सेकुरुभङ्गि दप्पिचे
नलमट जॆन्दुवानिकि सुरापगलो जल मब्बिनट्लु दु
र्मलिन मनोविकारियगु मर्त्युनि नन्नॊडगूर्चि नीपयिन्
दलवु घटिम्पजेसितिवॆ दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 22 ॥
कॊञ्जकतर्क वादमनु गुद्दलिचे बरतत्त्वभूस्धलिन्
रञ्जिलद्रव्वि कङ्गॊननि रामनिधानमु नेडु भक्तिसि
द्धाञ्जनमन्दुहस्तगत मय्यॆबली यनगा मदीयहृ
त्कञ्जमुनन् वसिम्पुमिक दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 23 ॥
रामुण्डु घोर पातक विरामुडु सद्गुणकल्पवल्लिका
रामुडु षड्विकारजय रामुडु साधुजनावनव्रतो
द्दामुण्डु रामुडे परम दैवमु माकनि मी यडुङ्गु गॆं
दामरले भुजिञ्चॆदनु दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 24 ॥
चक्कॆरमानिवेमुदिन जालिनकैवडि मानवाधमुल्
पॆक्कुरु ऒक्क दैवमुल वेमऱुगॊल्चॆदरट्ल कादया
म्रॊक्किननीकु म्रॊक्कवलॆ मोक्ष मॊसङ्गिन नीवयीवलॆं
दक्किनमाट लेमिटिकि दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 25 ॥
‘रा’ कलुषम्बुलॆल्ल बयलम्बडद्रोचिन ‘मा’क वाटमै
डीकॊनिप्रोवुचुनिक्क मनिधीयुतुलॆन्नन्ददीय वर्णमुल्
गैकॊनि भक्ति चे नुडुवङ्गानरु गाक विपत्परम्परल्
दाकॊनुने जगज्जनुल दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 26 ॥
रामहरे ककुत्ध्सकुल रामहरे रघुरामरामश्री
रामहरेयटञ्चु मदि रञ्जिल भेकगलम्बुलील नी
नाममु संस्मरिञ्चिन जनम्बु भवम्बॆडबासि तत्परं
धाम निवासुलौदुरट दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 27 ॥
चक्कॆर लप्पकुन् मिगुल जव्वनि कॆञ्जिगुराकु मोविकिं
जॊक्कपुजुण्टि तेनियकु जॊक्कुलुचुङ्गन लेरु गाक ने
डक्कट रामनाममधु रामृतमानुटकण्टॆ सौख्यामा
तक्किनमाधुरी महिम दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 28 ॥
अण्डजवाह निन्नु हृदयम्बुननम्मिन वारि पापमुल्
कॊण्डलवण्टिवैन वॆसगूलि नशिम्पक युन्नॆ सन्त ता
खण्डलवैभवोन्नतुलु गल्गकमानुनॆ मोक्ष लक्ष्मिकै
दण्डयॊसङ्गकुन्नॆ तुद दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 29 ॥
चिक्कनिपालपै मिसिमि जॆन्दिन मीगड पञ्चदारतो
मॆक्किनभङ्गि मीविमल मेचकरूप सुधारसम्बु ना
मक्कुव पल्लेरम्बुन समाहित दास्यमु नेटिदो यिटन्
दक्कॆनटञ्चु जुर्रॆदनु दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 30 ॥
सिरुलिडसीत पीडलॆग जिम्मुटकुन् हनुमन्तुडार्तिसो
दरुडु सुमित्रसूति दुरितम्बुलुमानुप राम नाममुं
गरुणदलिर्प मानवुलगावग बन्निन वज्रपञ्जरो
त्करमुगदा भवन्महिम दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 31 ॥
हलिकुलिशाङ्कुशध्वज शरासन शङ्खरथाङ्ग कल्पको
ज्वलजलजात रेखलनु सांशमुलै कनुपट्टुचुन्न मी
कलितपदाम्बुज द्वयमु गौतमपत्नि कॊसङ्गिनट्लु ना
तलपुन जेर्चिकावगदॆ दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 32 ॥
जलनिधिलोनदूऱि कुल शैलमुमीटि धरित्रिगॊम्मुनं
दलवडमाटिरक्कसुनि यङ्गमुगीटिबलीन्द्रुनिन् रसा
तलमुनमाटि पार्धिवक दम्बमुगूऱ्चिन मेटिराम ना
तलपुननाटि रागदवॆ दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 33 ॥
भण्डन भीमुडा र्तजन बान्धवुडुज्ज्वल बाणतूणको
दण्डकलाप्रचण्ड भुज ताण्डवकीर्तिकि राममूर्तिकिन्
रॆण्डव साटिदैवमिक लेडनुचुन् गडगट्टि भेरिका
डाण्ड डडाण्ड डाण्ड निनदम्बु लजाण्डमुनिण्ड मत्तवे
दण्डमु नॆक्कि चाटॆदनु दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 34 ॥
अवनिज कन्नुदोयि तॊगलन्दु वॆलिङ्गॆडु सोम, जानकी
कुवलयनेत्र गब्बिचनुकॊण्डल नुण्डु घनम्ब मैधिली
नवनव यौवनम्बनु वनम्बुकुन् मददन्ति वीवॆका
दविलि भजिन्तु नॆल्लपुडु दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 35 ॥
खरकरवंशजा विनु मुखण्डित भूतपिशाचढाकिनी
ज्वर परितापसर्पभय वारकमैन भवत्पदाब्ज नि
स्पुर दुरुवज्रपञ्जरमुजॊच्चिति, नीयॆड दीन मानवो
ध्धर बिरुदङ्क मेमऱुकु दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 36 ॥
जुर्रॆदमीक थामृतमु जुर्रॆदमीपदकञ्जतो यमुन्
जुर्रॆद रामनाममुन जॊब्बिलुचुन्न सुधारसम्ब ने
जुर्रॆद जुर्रुजुर्रुङ्ग रुचुल् गनुवारिपदम्बु गूर्पवे
तुर्रुलतोडि पॊत्तिडक दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 37 ॥
घोरकृतान्त वीरभट कोटिकि गुण्डॆदिगुल् दरिद्रता
कारपिशाच संहरण कार्यविनोदि विकुण्ठ मन्दिर
द्वार कवाट भेदि निजदास जनावलिकॆल्ल प्रॊद्दु नी
तारकनाम मॆन्नुकॊन दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 38 ॥
विन्नपमालकिञ्चु रघुवीर नहिप्रतिलोकमन्दु ना
कन्नदुरात्मुडुं बरम कारुणिकोत्तम वेल्पुलन्दु नी
कन्न महात्मुडुं बतित कल्मषदूरुडु लेडुनाकुवि
द्वन्नुत नीवॆनाकु गति दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 39 ॥
पॆम्पुनन्दल्लिवै कलुष बृन्दसमागम मॊन्दुकुण्डु र
क्षिम्पनुदण्ड्रिवै मॆयु वसिञ्चुदु शेन्द्रिय रोगमुल् निवा
रिम्पनु वॆज्जवै कृप गुऱिञ्चि परम्बु दिरबुगाङ्ग स
त्सम्पदलीय नीवॆगति दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 40 ॥
कुक्षिनजाण्डपं क्तुलॊन गूर्चि चराचरजन्तुकोटि सं
रक्षणसेयु तण्ड्रिवि परम्पर नी तनयुण्डनैन ना
पक्षमु नीवुगावलदॆ पापमु लॆन्नि यॊनर्चिनन् जग
द्रक्षक कर्तवीवॆकद दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 41 ॥
गद्दरियो गिहृत्कमल गन्धर सानुभवम्बुञ्जॆन्दु पॆ
न्निद्दवु गण्डुं देण्टि थरणीसुत कौङ्गिलिपञ्जरम्बुनन्
मुद्दुलुगुल्कु राचिलुक मुक्तिनिधानमुरामराङ्गदे
तद्दयु नेण्डु नाकडकु दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 42 ॥
कलियुग मर्त्यकोटिनिनु गङ्गॊन रानिविधम्बो भक्तव
त्सलतवहिम्पवो चटुल सान्द्रविपद्दश वार्धि ग्रुङ्कुचो
बिलिचिन बल्क विन्तमऱपी नरुलिट्लनरादु गाक नी
तलपुन लेदॆ सीत चॆऱ दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 43 ॥
जनवर मीक थालि विनसैम्पक कर्णमुलन्दु घण्टिका
निनद विनोदमुल् सुलुपुनीचुनकुन् वरमिच्चिनावु नि
न्ननयमुनम्मि कॊल्चिन महात्मुनकेमि यॊसङ्गु दोसनं
दननुत माकॊसङ्गुमय दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 44 ॥
पापमु लॊन्दुवेल रणपन्नग भूत भयज्वारादुलन्
दापद नॊन्दुवेल भरताग्रज मिम्मु भजिञ्चुवारिकिन्
ब्रापुग नीवुदम्मु डिरुपक्कियलन् जनि तद्वित्ति सं
तापमु माम्पि कातुरट दाशरथी करुणापयोनिधि. ॥ 45 ॥
अगणित जन्मकर्मदुरि ताम्बुधिलो बहुदुःखवीचिकल्
दॆगिपडवीडलेक जगतीधर नीपदभक्ति नावचे
दगिलि तरिम्पगोरिति बदम्पबडि नदु भयम्भु माम्पवे
तगदनि चित्तमं दिडक दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 46 ॥
नेनॊनरिञ्चु पापमुल नेकमुलैननु नादुजिह्वकुं
बानकमय्यॆमीपरम पावननाममुदॊण्टि चिल्करा
माननुगावुमन्न तुदि माटकु सद्गति जॆन्दॆगावुनन्
दानि धरिम्पगोरॆदनु दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 47 ॥
परधनमुल् हरिञ्चि परभामलनण्टि परान्न मब्बिनन्
मुरिपम कानिमीन्दनगु मोसमॆऱुङ्गदु मानसम्बु
स्तरमदिकालकिङ्कर गदाहति पाल्पडनीक मम्मु नेदु
तऱिदरिजेर्चि काचॆदवॊ दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 48 ॥
चेसिति घोरकृत्यमुलु चेसिति भागवतापचारमुल्
चेसिति नन्यदैवमुलं जेरि भजिञ्चिन वारिपॊन्दु नें
जेसिन नेरमुल् दलञ्चि चिक्कुलम्बॆट्टकुमय्ययय्य नी
दासुण्डनय्य भद्रगिरि दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 49 ॥
परुल धनम्बुञ्जूचिपर भामलजूचि हरिम्पगोरु म
द्गुरुतरमानसं बनॆडु दॊङ्गनुबट्टिनिरूढदास्य वि
स्फुरितविवेक पाशमुलं जुट्टि भवच्चरणम्बने मरु
त्तरुवुनगट्टिवेयग दॆ दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 50 ॥
सललित रामनाम जपसार मॆऱुङ्गनु गाशिकापुरी
निलयुडगानुमीचरण नीरजरेणु महाप्रभावमुं
दॆलियनहल्यगानु जगतीवर नीदगु सत्यवाक्यमुं
दलपग रावणासुरुनि तम्मुडगानु भवद्विलासमुल्
दलचिनुतिम्प नातरमॆ दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 51 ॥
पातकुलैन मीकृपकु बात्रुलु कारॆतलञ्चिचूड ज
ट्रातिकिगल्गॆ बावन मरातिकि राज्यसुखम्बुगल्गॆ दु
र्जातिकि बुण्यमब्बॆगपि जातिमहत्त्वमुनॊन्दॆगावुनं
दातव यॆट्टिवारलकु दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 52 ॥
मामक पातक वज्रमु म्राम्पनगण्यमु चित्रगुप्तुले
येमनि व्रातुरो? शमनुडेमि विधिञ्चुनॊ? कालकिङ्कर
स्तोम मॊनर्चिटेमॊ? विनजॊप्पड दिन्तकमुन्नॆदीनचिं
तामणि यॊट्लु गाचॆदवॊ दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 53 ॥
दासिन चुट्टूमा शबरि? दानि दयामति नेलिनावु; नी
दासुनि दासुडा? गुहुडु तावकदास्य मॊसङ्गिनावु ने
जेसिन पापमो! विनुति चेसिनगाववु गावुमय्य! नी
दासुललोन नेनॊकण्ड दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 54 ॥
दीक्षवहिञ्चि नाकॊलदि दीनुल नॆन्दऱि गाचितो जग
द्रक्षक तॊल्लिया द्रुपद राजतनूज तलञ्चिनन्तने
यक्षयमैन वल्वलिडि तक्कट नामॊऱजित्तगिञ्चि
प्रत्यक्षमु गाववेमिटिकि दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 55 ॥
नीलघनाभमूर्तिवगु निन्नु गनुङ्गॊनिकोरि वेडिनन्
जालमुसेसि डागॆदवु संस्तुति कॆक्किन रामनाम मे
मूलनु दाचुकोगलवु मुक्तिकि ब्रापदि पापमूलकु
द्दालमुगादॆ मायॆडल दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 56 ॥
वलदु पराकु भक्तजनवत्सल नी चरितम्बु वम्मुगा
वलदु पराकु नीबिरुदु वज्रमुवण्टिदि गान कूरके
वलदु पराकु नादुरित वार्धिकि दॆप्पवुगा मनम्बुलो
दलतुमॆका निरन्तरमु दाशरथी करुनापयोनिधी. ॥ 57 ॥
तप्पुलॆऱुङ्ग लेक दुरितम्बुलु सेसितिनण्टि नीवुमा
यप्पवुगावु मण्टि निकनन्युलकुन् नुदुरण्टनण्टिनी
कॊप्पिदमैन दासजनु लॊप्पिन बण्टुकु बटवण्टि ना
तप्पुल कॆल्ल नीवॆगति दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 58 ॥
इतडु दुरात्मुडञ्चुजनु लॆन्नङ्ग नाऱडिङ्गॊण्टिनेनॆपो
पतितुण्ड नण्टिनो पतित पावनमूर्तिवि नीवुगल्ल ने
नितिरुल वेण्डनण्टि निह मिच्चिननिम्मुपरम्बॊसङ्गुमी
यतुलित रामनाम मधु राक्षर पालिनिरन्तरं बहृ
द्गतमनि नम्मिकॊल्चॆदनु दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 59 ॥
अञ्चितमैननीदु करुणामृतसारमु नादुपैनि ब्रो
क्षिञ्चिन जालुदाननिर सिञ्चॆदनादुरितम्बु लॆल्लदू
लिञ्चॆद वैरिवर्ग मॆडलिञ्चॆद गोर्कुलनीदुबण्टनै
दञ्चॆद, गालकिङ्करुल दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 60 ॥
जलनिधु लेडुनॊक्क मॊगिं जक्किकिदॆच्चॆशरम्बु, ऱातिनिं
पलरङ्ग जेसॆनातिगम्ब दाब्जपरागमु, नी चरित्रमुं
जलजभवादि निर्जरुलु सन्नुति सेयङ्ग लेरु गावुनं
दलपनगण्यमय्य यिदि दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 61 ॥
कोतिकिशक्यमा यसुरकोटुल गॆल्वनु गाल्चॆबो निजं
बातनिमेन शीतकरुडौट दवानलु डॆट्टिविन्त? मा
सीतपतिव्रता महिमसेवकु भाग्यमुमीकटाक्षमु
धातकु शक्यमा पॊगड दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 62 ॥
भूपललाम रामरघुपुङ्गवराम त्रिलोक राज्य सं
स्धापनराम मोक्षफल दायक राम मदीय पापमुल्
पापगदय्यराम निनु ब्रस्तुति चेसॆदनय्यराम सी
तापतिराम भद्रगिरि दासरथी करुणापयोनिधी. ॥ 63 ॥
नीसहजम्बु सात्विकमु नीविडिपट्टु सुधापयोधि, प
द्मासनुडात्मजुण्डु, गमलालयनी प्रियुरालु नीकु सिं
हासनमिद्धरित्रि; गॊडुगाक समक्षुलु चन्द्रबास्करुल्
नीसुमतल्पमादिफणि नीवॆ समस्तमु गॊल्चिनट्टि नी
दासुल भाग्यमॆट्टिदय दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 64 ॥
चरणमु सोकिनट्टि शिलजव्वनिरूपगु टॊक्कविन्त, सु
स्धिरमुग नीटिपै गिरुलु देलिन दॊक्कटि विन्तगानि मी
स्मरण दनर्चुमानवुलु सद्गति जॆन्दिन दॆन्तविन्त? यी
धरनु धरात्मजारमण दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 65 ॥
दैवमु तल्लिदण्ड्रितगु दात गुरुण्डु सखुण्डु निन्नॆ का
भावन सेयुचुन्नतऱि पापमुलॆल्ल मनोविकार दु
र्भावितुजेयुचुन्नविकृपामतिवैननु कावुमी जग
त्पावनमूर्ति भद्रगिरि दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 66 ॥
वासव राज्यभोग सुख वार्धिनि देलु प्रभुत्वमब्बिना
यासकुमेर लेदु कनकाद्रिसमान धनम्बुगूर्चिनं
गासुनु वॆण्टरादु कनि कानक चेसिन पुण्यपापमुल्
वीसरबोव नीवु पदिवेलकु जालु भवम्बुनॊल्ल नी
दासुनिगाग नेलुकॊनु दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 67 ॥
सूरिजनुल् दयापरुलु सूनृतवादु ललुब्धमानवुल्
वेरपतिप्रताङ्गनलु विप्रुलु गोवुलु वेदमुल् महा
भारमुदाल्पगा जनुलु पावनमैन परोपकार स
त्कार मॆऱुङ्गुले रकट दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 68 ॥
वारिचरावतारमु वारिधिलो जॊऱबाऱि क्रोध वि
स्तारगुडैन या निगमतस्करवीर निशाचरेन्द्रुनिं
जेरि वधिञ्चि वेदमुल चिक्कॆडलिञ्चि विरिञ्चिकि महो
दारतनिच्चितीवॆगद दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 69 ॥
करमनुर क्तिमन्दरमु गव्वमुगा नहिराजुद्राडुगा
दॊरकॊन देवदानवुलु दुग्धपयोधिमथिञ्चुचुन्नचो
धरणिचलिम्पलोकमुलु तल्लडमन्दग गूर्ममै धरा
धरमु धरिञ्चितीवॆकद दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 70 ॥
धारुणि जापजुट्टिन विधम्बुनगैकॊनि हेमनेत्रुड
व्वारिधिलोनदागिननु वानिवधिञ्चि वराहमूर्तिवै
धारुणिदॊण्टिकै वडिनि दक्षिणशृङ्गमुन धरिञ्चि वि
स्तार मॊनर्चितीवे कद दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 71 ॥
पॆटपॆटनुक्कु कम्बमुन भीकरदन्त नखान्तर प्रभा
पटलमु गप्प नुप्पतिलि भण्डनवीधि नृसिंहभीकर
स्फुटपटुशक्ति हेमकशिपु विदलिञ्चि सुरारिपट्टि नं
तटगृपजूचितीवॆकद दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 72 ॥
पदयुगलम्बु भूगगन भागमुल वॆसनूनि विक्रमा
स्पदमगुनब्बलीन्द्रुनॊक पादमुनन्दल क्रिन्दनॊत्तिमे
लॊदवजगत्त्रयम्बु बुरु हूतुनिकिय्यवटुण्डवैनचि
त्सदमलमूर्ति वीवॆकद दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 73 ॥
इरुवदियॊक्कमाऱु धरणीशुल नॆल्लवधिञ्चि तत्कले
बर रुधिर प्रवाहमुन बैतृकतर्पण मॊप्पजेसि भू
सुरवरकोटिकि मुदमु सॊप्पड भार्गवराममूर्तिवै
धरणिनॊसङ्गिती वॆकद दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 74 ॥
दुरमुन दाटकन्दुनिमि धूर्जटिविल् दुनुमाडिसीतनुं
बरिणयमन्दि तण्ड्रिपनुप घन काननभूमि केगि दु
स्तरपटुचण्ड काण्डकुलिशाहति रावणकुम्भकर्ण भू
धरमुल गूल्चिती वॆकद दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 75 ॥
अनुपमयादवान्वयसु धाब्धिसुधानिधि कृष्णमूर्तिनी
कनुजुडुगाजनिञ्चि कुजनावलिनॆल्ल नडञ्चि रोहिणी
तनयुडनङ्ग बाहुबल दर्पमुन बलराम मूर्तिवै
तनरिन वेल्पवीवॆकद दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 76 ॥
सुरलुनुतिम्पगा द्रिपुर सुन्दरुल वरियिम्पबुद्धरू
परयग दाल्चितीवु त्रिपुरासुरकोटि दहिञ्चुनप्पुडा
हरुनकुदोडुगा वरश रासन बाणमुखो ग्रसाधनो
त्कर मॊनरिञ्चितीवुकद दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 77 ॥
सङ्करदुर्गमै दुरित सङ्कुलमैन जगम्बुजूचि स
र्वङ्कषलील नु त्तम तुरङ्गमुनॆक्कि करासिबूनि वी
राङ्कविलास मॊप्प गलि काकृत सज्जनकोटिकि निरा
तङ्क मॊनर्चितीवुकद दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 78 ॥
मनमुननूहपोषणलु मर्वकमुन्नॆ कफादिरोगमुल्
दनुवुननण्टि मेनिबिगि दप्पकमुन्नॆनरुण्डु मोक्ष सा
धन मॊनरिम्पङ्गावलयुं दत्त्वविचारमु मानियुण्डुट
ल्तनुवुनकु विरोधमिदि दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 79 ॥
मुदमुन काटपट्टुभव मोहमद्व दिरदाङ्कुशम्बु सं
पदल कॊटारु कोरिकल पण्ट परम्बुन कादि वैरुल
न्नदन जयिञ्चुत्रोव विपदब्धिकिनावगदा सदाभव
त्सदमलनामसंस्मरण दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 80 ॥
दुरित लतानुसार भय दुःख कदम्बमु रामनामभी
करतल हेतिचें दॆगि वकावकलै चनकुण्ड नेर्चुने
दरिकॊनि मण्डुचुण्डु शिख दार्कॊनिन शलबादिकीटको
त्करमु विलीनमैचनवॆ दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 81 ॥
हरिपदभक्तिनिन्द्रियज यान्वितुडुत्तमुण्डिन्द्रिमम्बुलन्
मरुगक निल्पनूदिननु मध्यमुण्डिन्द्रियपारश्युडै
परगिनचो निकृष्टुडनि पल्कग दुर्मतिनैन नन्नु ना
दरमुन नॆट्लुकाचॆदवॊ दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 82 ॥
वनकरिचिक्कु मैनसकु पाचविकिं जॆडिपोयॆ मीनुता
विनिकिकिञ्जिक्कॆञ्जिल्वगनु वेन्दुऱुं जॆन्दॆनु लेल्लु ताविलो
मनिकिनशिञ्चॆ देटितर मायिरुमूण्टिनि गॆल्वनै दुसा
धनमुलनी वॆ कावनगु दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 83 ॥
करमुलुमीकुम्रॊक्कुलिड कन्नुलु मिम्मुनॆ चूड जिह्व मी
स्मरणदनर्पवीनुलुभ वत्कथलन् विनुचुण्डनास मी
यऱुतुनु बॆट्टुपूसरुल कासगॊनं बरमार्थ साधनो
त्करमिदि चेयवेकृपनु दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 84 ॥
चिरतरभक्ति नॊक्कतुलसीदल मर्पण चेयुवाडु खे
चरगरु डोरग प्रमुख सङ्घमुलो वॆलुगन् सधा भवत्
सुरुचिर धीन्द पादमुल बूजलॊनर्चिन वारिकॆल्लद
त्पर मरचेतिधात्रिगद दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 85 ॥
भानुडु तूर्पुनन्दुगनु पुट्टिनं बावक चन्द्र तेजमुल्
हीनत जॆन्दिनट्लु जगदेक विराजितमैन नी पद
ध्यानमु चेयुचुन्नं बर दैवमरीचुलडङ्गकुण्डु ने
दानव गर्व निर्दलन दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 86 ॥
नीमहनीयतत्त्व रस निर्ण यबोध कथामृताब्धिलो
दामुनुग्रुङ्कुलाडकवृ थातनुकष्टमुजॆन्दि मानवुं
डी महिलोकतीर्थमुल नॆल्ल मुनिङ्गिन दुर्विकार हृ
तामसपङ्कमुल् विदुनॆ दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 87 ॥
नीमहनीयतत्त्व रस निर्ण यबोध कथामृताब्धिलो
दामुनुग्रुङ्कुलाडकवृ थातनुकष्टमुजॆन्दि मानवुं
डी महिलोकतीर्थमुल नॆल्ल मुनिङ्गिन दुर्विकार हृ
तामसपङ्कमुल् विदुनॆ दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 88 ॥
काञ्चन वस्तुसङ्कलित कल्मष मग्नि पुटम्बु बॆट्टॆवा
रिञ्चिनरीति नात्मनिगिडिञ्चिन दुष्कर दुर्मलत्रयं
बञ्चित भ क्तियोग दह नार्चिन्दगुल्पक पायुने कन
त्काञ्चनकुण्डलाभरण दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 89 ॥
नीसति पॆक्कु गल्मुलिडनेर्पिरि, लोक मकल्मषम्बुगा
नीसुत सेयु पावनमु निर्मित कार्यधुरीण दक्षुडै
नीसुतुडिच्चु नायुवुलु निन्न भुजिञ्चिनं गल्गकुण्डुने
दासुलकीप्सि तार्थमुल दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 90 ॥
वारिजपत्रमन्दिडिन वारिविधम्बुन वर्तनीयमं
दारय रॊम्पिलोन दनु वण्टनि कुम्मरपुर्वुरीति सं
सारमुन मॆलङ्गुचु विचारडैपरमॊन्दुगादॆस
त्कार मॆऱिङ्गि मानवुडु दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 91 ॥
ऎक्कडि तल्लिदण्ड्रि सुतुलॆक्कडि वारु कलत्र बान्धवं
बॆक्कड जीवुण्डॆट्टि तनु वॆत्तिन बुट्टुनु बोवुचुन्न वा
डॊक्कडॆपाप पुणय फल मॊन्दिन नॊक्कडॆ कानराडुवे
ऱॊक्कडु वॆण्टनण्टिभव मॊल्लनयाकृप जूडुवय्यनी
टक्करि मायलन्दिडक दाशरथी करुणा पयोनिधी. ॥ 92 ॥
दॊरसिनकायमुल्मुदिमि तोचिनञ्जूचिप्रभुत्वमुल्सिरु
ल्मॆऱपुलुगागजूचिमऱि मेदिनिलोन्दमतोडिवारुमुं
दरुगुटजूचिचूचि तॆगु नायुवॆऱुङ्गक मोहपाशमु
लरुगनिवारिकेमिगति दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 93 ॥
सिरिगलनाण्डु मैमऱचि चिक्किननाण्डुदलञ्चि पुण्यमुल्
पॊरिम्बॊरि सेयनैतिननि पॊक्किनं गल्गु नॆगालिचिच्चुपैं
गॆरलिन वेलन्दप्पिकॊनि कीड्पडु वेल जलम्बु गोरि त
त्तरमुनं द्रव्विनं गलदॆ दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 94 ॥
जीवनमिङ्कं बङ्कमुन जिक्किन मीनु चलिम्पकॆन्तयु
दावुननिल्चि जीवनमॆ दद्दयुं गोरुविधम्बु चॊप्पडं
दावलमैनङ्गानि गुऱि तप्पनिवाण्डु तरिञ्चुवाण्डया
तावकभक्तियो गमुन दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 95 ॥
सरसुनिमानसम्बु सर सज्ञुडॆरुङ्गुनु मुष्कराधमुं
डॆऱिङ्गिग्रहिञ्चुवाडॆ कॊल नेकनिसमुं गागदुर्दुरं
बरयङ्ग नेर्चुनॆट्लु विक चाब्दमरन्द रसैक सौरभो
त्करमुमिलिन्द मॊन्दुक्रिय दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 96 ॥
नोञ्चिनतल्लिदण्ड्रिकिं दनूभवुण्डॊक्कडॆचालु मेटिचे
चाञ्चनिवाडु वेऱॊकण्डु चाचिन लेदन किच्चुवाण्डुनो
राञ्चिनिजम्बकानि पलु काडनिवाण्डु रणम्बुलोन मेन्
दाचनिवाण्डु भद्रगिरि दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 97 ॥
श्रीयुतजानकीरमण चिन्नयरूप रमेशराम ना
रायण पाहिपाहियनि ब्रस्तुतिं जेसिति नामनम्बुनं
बायक किल्बिषव्रज वि पाटनमन्दङ्ग जेसि सत्कला
दायि फलम्बुनाकियवॆ दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 98 ॥
ऎन्तटिपुण्यमो शबरि यॆङ्गिलिगॊण्टिवि विन्तगादॆ नी
मन्तन मॆट्टिदो युडुत मैनिक राग्र नखाङ्कुरम्बुलन्
सन्तसमन्दं जेसितिवि सत्कुलजन्ममु लेमि लॆक्क वे
दान्तमुगादॆ नी महिम दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 99 ॥
बॊङ्कनिवाण्डॆयोग्युडरि बृन्दमु लॆत्तिन चोटजिव्वकुं
जङ्कनिवाण्डॆजोदु रभसम्बुन नर्थि करम्बुसाञ्चिनं
गॊङ्कनिवाण्डॆदात मिमुं गॊल्चिभजिञ्चिन वाण्डॆ पोनिरा
तङ्क मनस्कुं डॆन्न गनु दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 100 ॥
भ्रमरमुगीटकम्बुं गॊनि पाल्पडि झाङ्करणो कारियै
भ्रमरमुगानॊनर्चुननि पल्कुटं जेसि भवादि दुःखसं
तमसमॆडल्चि भक्तिसहि तम्बुग जीवुनि विश्वरूप त
त्त्वमुनधरिञ्चु टेमरुदु दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 101 ॥
तरुवुलु पूचिकायलगु दक्कुसुमम्बुलु पूजगाभव
च्चरणमु सोकिदासुलकु सारमुलो धनधान्यराशुलै
करिभट घोटकाम्बर नकायमुलै विरजा समु
त्तरण मॊनर्चुजित्रमिदि दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 102 ॥
पट्टितिभट्टरार्यगुरु पादमुलिम्मॆयिनूर्ध्व पुण्ड्रमुल्
वॆट्टितिमन्त्रराज मॊडि बॆट्टिति नय्यमकिङ्क रालिकिं
गट्टितिबॊम्ममीचरण कञ्जलन्दुं दलम्पुपॆट्टि बो
दट्टितिं बापपुञ्जमुल दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 103 ॥
अल्लन लिङ्गमन्त्रि सुतुडत्रिज गोत्रजुडादिशाख कं
चॆर्ल कुलोद्बवुं दम्ब्रसिद्धिडनै भवदङ्कितम्बुगा
नॆल्लकवुल् नुतिम्प रचियिञ्चिति गोपकवीन्द्रुडन् जग
द्वल्लभ नीकु दासुडनु दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 104 ॥
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