Jai Shani Dev(जय शनि देव) welcome everyone and congratulation on all the blessing you will receive after reading (शनि चालीसा)Shani Chalisa. According to Hindu Vedas and Puran reading of Shani Chalisa have some magical benefits. And also added some new offers where you can download Shani Chalisa Hindi Lyrics in PDF and mp3 audio.
Shri Shani Chalisa Hindi Lyrics
॥ दोहा॥
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।
दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥
जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज।
करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज॥
॥चौपाई॥
जयति जयति शनिदेव दयाला।
करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥ 1 ॥
चारि भुजा, तनु श्याम विराजै।
माथे रतन मुकुट छबि छाजै॥ 2 ॥
परम विशाल मनोहर भाला।
टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला ॥ 3 ॥
कुण्डल श्रवण चमाचम चमके।
हिय माल मुक्तन मणि दमके ॥ 4 ॥
कर में गदा त्रिशूल कुठारा।
पल बिच करैं अरिहिं संहारा ॥ 5 ॥
पिंगल, कृष्णो, छाया नन्दन।
यम, कोणस्थ, रौद्र, दुखभंजन ॥ 6 ॥
सौरी, मन्द, शनी, दश नामा।
भानु पुत्र पूजहिं सब कामा ॥ 7 ॥
जा पर प्रभु प्रसन्न ह्वैं जाहीं।
रंकहुँ राव करैं क्षण माहीं ॥ 8 ॥
पर्वतहू तृण होई निहारत।
तृणहू को पर्वत करि डारत ॥ 9 ॥
राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो।
कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो ॥ 10 ॥
बनहूँ में मृग कपट दिखाई।
मातु जानकी गई चुराई ॥ 11 ॥
लखनहिं शक्ति विकल करिडारा।
मचिगा दल में हाहाकारा ॥ 12 ॥
रावण की गति-मति बौराई।
रामचंद्र सों बैर बढ़ाई ॥ 13 ॥
दियो कीट करि कंचन लंका।
बजि बजरंग बीर की डंका॥ 14 ॥
नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा।
चित्र मयूर निगलि गै हारा ॥ 15 ॥
हार नौलखा लाग्यो चोरी।
हाथ पैर डरवायो तोरी ॥ 16 ॥
भारी दशा निकृष्ट दिखायो।
तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो ॥ 17 ॥
विनय राग दीपक महं कीन्हयों।
तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों ॥ 18 ॥
हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी।
आपहुं भरे डोम घर पानी ॥ 19 ॥
तैसे नल पर दशा सिरानी।
भूंजी-मीन कूद गई पानी॥ 20 ॥
श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई।
पारवती को सती कराई॥ 21 ॥
तनिक विलोकत ही करि रीसा।
नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा ॥ 22 ॥
पांडव पर भै दशा तुम्हारी।
बची द्रौपदी होति उघारी॥ 23 ॥
कौरव के भी गति मति मारयो।
युद्ध महाभारत करि डारयो ॥ 24 ॥
रवि कहं मुख महं धरि तत्काला।
लेकर कूदि परयो पाताला ॥ 25 ॥
शेष देव-लखि विनती लाई।
रवि को मुख ते दियो छुड़ाई ॥ 26 ॥
वाहन प्रभु के सात सुजाना।
जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना॥ 27 ॥
जंबुक सिंह आदि नख धारी।
सो फल ज्योतिष कहत पुकारी ॥ 28 ॥
गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं।
हय ते सुख सम्पति उपजावैं ॥ 29 ॥
गर्दभ हानि करै बहु काजा।
सिंह सिद्धकर राज समाजा ॥ 30 ॥
जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै।
मृग दे कष्ट प्राण संहारै ॥ 31 ॥
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी।
चोरी आदि होय डर भारी ॥ 32 ॥
तैसहि चारि चरण यह नामा।
स्वर्ण लौह चांदी अरु तामा ॥ 33 ॥
लौह चरण पर जब प्रभु आवैं।
धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं ॥ 34 ॥
समता ताम्र रजत शुभकारी।
स्वर्ण सर्व सर्व सुख मंगल भारी॥ 35 ॥
जो यह शनि चरित्र नित गावै।
कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै॥ 36 ॥
अद्भुत नाथ दिखावैं लीला।
करैं शत्रु के नशि बलि ढीला ॥ 37 ॥
जो पंडित सुयोग्य बुलवाई।
विधिवत शनि ग्रह शांति कराई ॥ 38 ॥
पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत।
दीप दान दै बहु सुख पावत ॥ 39 ॥
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा।
शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा ॥ 40 ॥
॥ दोहा॥
पाठ शनिश्चर देव को, की हों ‘भक्त’ तैयार।
करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार॥
Shani Chalisa Fast Hindi Lyrics Video
Shri Shani Chalisa Hindi Lyrics With Meaning
॥ दोहा॥
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।
दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥
जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज।
करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज॥
अर्थ- हे माता पार्वती के पुत्र भगवान श्री गणेश, आपकी जय हो। आप कल्याणकारी है, सब पर कृपा करने वाले हैं, दीन लोगों के दुख दुर कर उन्हें खुशहाल करें भगवन। हे भगवान श्री शनिदेव जी आपकी जय हो, हे प्रभु, हमारी प्रार्थना सुनें, हे रविपुत्र हम पर कृपा करें व भक्तजनों की लाज रखें।
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॥चौपाई॥
जयति जयति शनिदेव दयाला।
करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥ 1 ॥
अर्थ- हे दयालु शनिदेव महाराज आपकी जय हो, आप सदा भक्तों के रक्षक हैं उनके पालनहार हैं।
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चारि भुजा, तनु श्याम विराजै।
माथे रतन मुकुट छबि छाजै॥ 2 ॥
अर्थ- आप श्याम वर्णीय हैं व आपकी चार भुजाएं हैं। आपके मस्तक पर रतन जड़ित मुकुट आपकी शोभा को बढा रहा है।
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परम विशाल मनोहर भाला।
टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला ॥ 3 ॥
अर्थ- आपका बड़ा मस्तक आकर्षक है, आपकी दृष्टि टेढी रहती है। आपकी भृकुटी भी विकराल दिखाई देती है।
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कुण्डल श्रवण चमाचम चमके।
हिय माल मुक्तन मणि दमके ॥ 4 ॥
अर्थ- आपके कानों में सोने के कुंडल चमचमा रहे हैं। आपकी छाती पर मोतियों व मणियों का हार आपकी आभा को और भी बढ़ा रहा है।
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कर में गदा त्रिशूल कुठारा।
पल बिच करैं अरिहिं संहारा ॥ 5 ॥
पिंगल, कृष्णो, छाया नन्दन।
यम, कोणस्थ, रौद्र, दुखभंजन ॥ 6 ॥
अर्थ- आपके हाथों में गदा, त्रिशूल व कुठार हैं, जिनसे आप पल भर में शत्रुओं का संहार करते हैं। पिंगल, कृष्ण, छाया नंदन, यम, कोणस्थ, रौद्र, दु:ख भंजन
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सौरी, मन्द, शनी, दश नामा।
भानु पुत्र पूजहिं सब कामा ॥ 7 ॥
अर्थ- सौरी, मंद, शनि ये आपके दस नाम हैं। हे सूर्यपुत्र आपको सब कार्यों की सफलता के लिए पूजा जाता है।
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जा पर प्रभु प्रसन्न ह्वैं जाहीं।
रंकहुँ राव करैं क्षण माहीं ॥ 8 ॥
अर्थ- क्योंकि जिस पर भी आप प्रसन्न होते हैं, कृपालु होते हैं वह क्षण भर में ही रंक से राजा बन जाता है।
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पर्वतहू तृण होई निहारत।
तृणहू को पर्वत करि डारत ॥ 9 ॥
अर्थ- पहाड़ जैसी समस्या भी उसे घास के तिनके सी लगती है लेकिन जिस पर आप नाराज हो जांए तो छोटी सी समस्या भी पहाड़ बन जाती है।
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राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो।
कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो ॥ 10 ॥
अर्थ- हे प्रभु आपकी दशा के चलते ही तो राज के बदले भगवान श्री राम को भी वनवास मिला था। आपके प्रभाव से ही केकैयी ने ऐसा बुद्धि हीन निर्णय लिया।
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बनहूँ में मृग कपट दिखाई।
मातु जानकी गई चुराई ॥ 11 ॥
अर्थ- आपकी दशा के चलते ही वन में मायावी मृग के कपट को माता सीता पहचान न सकी और उनका हरण हुआ। उनकी सूझबूझ भी काम नहीं आयी।
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लखनहिं शक्ति विकल करिडारा।
मचिगा दल में हाहाकारा ॥ 12 ॥
अर्थ- आपकी दशा से ही लक्ष्मण के प्राणों पर संकट आन खड़ा हुआ जिससे पूरे दल में हाहाकार मच गया था।
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रावण की गति-मति बौराई।
रामचंद्र सों बैर बढ़ाई ॥ 13 ॥
दियो कीट करि कंचन लंका।
बजि बजरंग बीर की डंका॥ 14 ॥
अर्थ- आपके प्रभाव से ही रावण ने भी ऐसा बुद्धिहीन कृत्य किया व प्रभु श्री राम से शत्रुता बढाई। आपकी दृष्टि के कारण बजरंग बलि हनुमान का डंका पूरे विश्व में बजा व लंका तहस-नहस हुई।
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नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा।
चित्र मयूर निगलि गै हारा ॥ 15 ॥
हार नौलखा लाग्यो चोरी।
हाथ पैर डरवायो तोरी ॥ 16 ॥
अर्थ- आपकी नाराजगी के कारण राजा विक्रमादित्य को जंगलों में भटकना पड़ा। उनके सामने हार को मोर के चित्र ने निगल लिया व उन पर हार चुराने के आरोप लगे। इसी नौलखे हार की चोरी के आरोप में उनके हाथ पैर तुड़वा दिये गये।
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भारी दशा निकृष्ट दिखायो।
तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो ॥ 17 ॥
अर्थ- आपकी दशा के चलते ही विक्रमादित्य को तेली के घर कोल्हू चलाना पड़ा।
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विनय राग दीपक महं कीन्हयों।
तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों ॥ 18 ॥
अर्थ- लेकिन जब दीपक राग में उन्होंनें प्रार्थना की तो आप प्रसन्न हुए व फिर से उन्हें सुख समृद्धि से संपन्न कर दिया।
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हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी।
आपहुं भरे डोम घर पानी ॥ 19 ॥
अर्थ- आपकी दशा पड़ने पर राजा हरिश्चंद्र की स्त्री तक बिक गई, स्वयं को भी डोम के घर पर पानी भरना पड़ा।
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तैसे नल पर दशा सिरानी।
भूंजी-मीन कूद गई पानी॥ 20 ॥
अर्थ- उसी प्रकार राजा नल व रानी दयमंती को भी कष्ट उठाने पड़े, आपकी दशा के चलते भूनी हुई मछली तक वापस जल में कूद गई और राजा नल को भूखों मरना पड़ा।
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श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई।
पारवती को सती कराई॥ 21 ॥
अर्थ- भगवान शंकर पर आपकी दशा पड़ी तो माता पार्वती को हवन कुंड में कूदकर अपनी जान देनी पड़ी।
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तनिक विलोकत ही करि रीसा।
नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा ॥ 22 ॥
अर्थ- आपके कोप के कारण ही भगवान गणेश का सिर धड़ से अलग होकर आकाश में उड़ गया।
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पांडव पर भै दशा तुम्हारी।
बची द्रौपदी होति उघारी॥ 23 ॥
अर्थ- पांडवों पर जब आपकी दशा पड़ी तो द्रौपदी वस्त्रहीन होते होते बची।
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कौरव के भी गति मति मारयो।
युद्ध महाभारत करि डारयो ॥ 24 ॥
अर्थ-आपकी दशा से कौरवों की मति भी मारी गयी जिसके परिणाम में महाभारत का युद्ध हुआ।
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रवि कहं मुख महं धरि तत्काला।
लेकर कूदि परयो पाताला ॥ 25 ॥
अर्थ- आपकी कुदृष्टि ने तो स्वयं अपने पिता सूर्यदेव को नहीं बख्शा व उन्हें अपने मुख में लेकर आप पाताल लोक में कूद गए।
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शेष देव-लखि विनती लाई।
रवि को मुख ते दियो छुड़ाई ॥ 26 ॥
अर्थ- देवताओं की लाख विनती के बाद आपने सूर्यदेव को अपने मुख से आजाद किया।
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वाहन प्रभु के सात सुजाना।
जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना॥ 27 ॥
जंबुक सिंह आदि नख धारी।
सो फल ज्योतिष कहत पुकारी ॥ 28 ॥
अर्थ- हे प्रभु आपके सात वाहन हैं। हाथी, घोड़ा, गधा, हिरण, कुत्ता, सियार और शेर जिस वाहन पर बैठकर आप आते हैं उसी प्रकार ज्योतिष आपके फल की गणना करता है।
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गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं।
हय ते सुख सम्पति उपजावैं ॥ 29 ॥
अर्थ- यदि आप हाथी पर सवार होकर आते हैं घर में लक्ष्मी आती है। यदि घोड़े पर बैठकर आते हैं तो सुख संपत्ति मिलती है।
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गर्दभ हानि करै बहु काजा।
सिंह सिद्धकर राज समाजा ॥ 30 ॥
अर्थ- यदि गधा आपकी सवारी हो तो कई प्रकार के कार्यों में अड़चन आती है, वहीं जिसके यहां आप शेर पर सवार होकर आते हैं तो आप समाज में उसका रुतबा बढाते हैं, उसे प्रसिद्धि दिलाते हैं।
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जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै।
मृग दे कष्ट प्राण संहारै ॥ 31 ॥
अर्थ- वहीं सियार आपकी सवारी हो तो आपकी दशा से बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है व यदि हिरण पर आप आते हैं तो शारीरिक व्याधियां लेकर आते हैं जो जानलेवा होती हैं।
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जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी।
चोरी आदि होय डर भारी ॥ 32 ॥
अर्थ- हे प्रभु जब भी कुत्ते की सवारी करते हुए आते हैं तो यह किसी बड़ी चोरी की और ईशारा करती है।
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तैसहि चारि चरण यह नामा।
स्वर्ण लौह चांदी अरु तामा ॥ 33 ॥
लौह चरण पर जब प्रभु आवैं।
धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं ॥ 34 ॥
अर्थ- इसी प्रकार आपके चरण भी सोना, चांदी, तांबा व लोहा आदि चार प्रकार की धातुओं के हैं। यदि आप लौहे के चरण पर आते हैं तो यह धन, जन या संपत्ति की हानि का संकेतक है।
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समता ताम्र रजत शुभकारी।
स्वर्ण सर्व सर्व सुख मंगल भारी॥ 35 ॥
अर्थ- वहीं चांदी व तांबे के चरण पर आते हैं तो यह सामान्यत शुभ होता है, लेकिन जिनके यहां भी आप सोने के चरणों में पधारते हैं, उनके लिये हर लिहाज से सुखदायक व कल्याणकारी होते है।
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जो यह शनि चरित्र नित गावै।
कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै॥ 36 ॥
अर्थ- जो भी इस शनि चरित्र को हर रोज गाएगा उसे आपके कोप का सामना नहीं करना पड़ेगा, आपकी दशा उसे नहीं सताएगी।
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अद्भुत नाथ दिखावैं लीला।
करैं शत्रु के नशि बलि ढीला ॥ 37 ॥
अर्थ- उस पर भगवान शनिदेव महाराज अपनी अद्भुत लीला दिखाते हैं व उसके शत्रुओं को कमजोर कर देते हैं।
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जो पंडित सुयोग्य बुलवाई।
विधिवत शनि ग्रह शांति कराई ॥ 38 ॥
अर्थ- जो कोई भी अच्छे सुयोग्य पंडित को बुलाकार विधि व नियम अनुसार शनि ग्रह को शांत करवाता है।
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पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत।
दीप दान दै बहु सुख पावत ॥ 39 ॥
अर्थ- शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष को जल देता है व दिया जलाता है उसे बहुत सुख मिलता है।
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कहत राम सुन्दर प्रभु दासा।
शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा ॥ 40 ॥
अर्थ- प्रभु शनिदेव का दास रामसुंदर भी कहता है कि भगवान शनि के सुमिरन सुख की प्राप्ति होती है व अज्ञानता का अंधेरा मिटकर ज्ञान का प्रकाश होने लगता है।
॥ दोहा॥
पाठ शनिश्चर देव को, की हों ‘भक्त’ तैयार।
करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार॥
अर्थ- “भगवान शनिदेव के इस पाठ को ‘भक्त’ ने तैयार किया है जो भी इस चालीसा का चालीस दिन तक पाठ करता है शनिदेव की कृपा से वह भवसागर से पार हो जाता है।”
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Now as you complete reading Shani Chalisa you must feel the immense power of Lord Shani dev. If you read and recite Shani Chalisa on a daily basis then you will see some amazing benefits in your life. Whoever reads Shani Chalisa for 40 days/will be blessed by the Almighty Shani Dev.
This time we posted Shani Chalisa Lyrics in Hindi but for your convenience, we already posted it in multiple languages like- Hindi, English, Gujarati, Tamil, Telugu, Kannada, Malayalam. If you want to check this Chalisa in different languages then you can check it below.
Blessings: As you are a devotee of Lord Shani Dev and you also read and recite Shani Chalisa every day and you are blessed by Shani dev. So you must share this Chalisa with your friends and family so that they also receive all the blessings in their life.
**जय शनि देव**